यह प्रभाग क्षेत्र के महत्वपूर्ण वृक्ष प्रजातियों के कीटों और रोगों पर अनुसंधान करने और उनके प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल विकसित करने में शामिल है। यह प्रभाग सत्तर के दशक से नर्सरी रोपण और प्राकृतिक वनों के कीट-पतंगों और बीमारियों और माइकोराइजा के रोगों पर शोध कर रहा है । प्रभाग ने मध्य भारत के पौधरोपण, वृक्षारोपण और प्राकृतिक वनों में कीटों और रोगो से नियंत्रण के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन के मॉडल विकसित किए हैं। पर्यावरणीय खतरों और फफूंदनाशकों की उच्च लागत को देखते हुए, क्षेत्र के उपयोगकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण बीमारियों के लिए जैव नियंत्रण उपायों सहित एकीकृत प्रबंधन तकनीकी विकसित की गई है । वृक्षों की प्रजातियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए जैव-उर्वरकों (VAM कवक, राइजोबियम, फ्रेंकिया और PSB सहित अन्य मुक्त नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया) के अनुप्रयोग पर शोध किया जा रहा है। वन संरक्षण पर कीट-रोग विज्ञान, जैविक नियंत्रण प्रयोगशाला, इन्सेक्टोरी और अन्य उभरते समस्याओ के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना की गई है। यह प्रभाग सक्रिय रूप से मध्य भारत में वन कीटशास्त्र (एंटोमोलॉजी) और वन वृक्ष रोगशास्त्र (पैथोलॉजी) के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान करने से जुड़ा हुआ है। टीएफआरआई ट्राईको-कार्ड प्रौद्योगिकी को सागौन के पत्तो को निष्पत्रक (टीक डिफोलिएटर) और सागौन कंकालक (टीक स्केलेटोनाइज़र) को नियंत्रित करने की तकनीक प्रभाग ने विकसित की है तथा प्रशिक्षण / कार्यशाला और फील्ड एक्सपोजर का आयोजन करके हितधारको के समक्ष समय-समय पर प्रदर्शित किया जाता है। कीट भंडार जिसमे 780 कीट प्रजातियों के नमूनों को रखा गया है जो राष्ट्रीय जैव विविधता अधिकरण द्वारा मान्यता प्राप्त है, जो कि आगंतुकों द्वारा संदर्भ संग्रह के रूप में उपयोग किया जाता है, जिस पर प्रभाग द्वारा कीट पहचान के लिए अनुसंधान किया जाता है। प्रभाग में माइकोलॉजिकल हर्बेरियम सुविधा उपलब्ध है, जिसमें 4000 फफूंद (फंगल) नमूनों का संग्रहण है।
अधिदेश
- वन रोगों और कीटों में बुनियादी और रणनीतिक (सामरिक) अनुसंधान।
- वन कवक और कीटों पर वर्गीकरण संबंधी अध्ययन।
- जैव उर्वरक और जैव कीटनाशक।
गतिविधियाँ
अनुसंधान
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्र स्थित वन-वृक्षों के प्रमुख कीट-कंटको और उनके प्राकृतिक शत्रुओं का, पौधशाला, वृक्षारोपण और प्राकृतिक वनों के नुकसान के आकलन पर अनुसन्धान कार्य।
- प्रभाग की प्रयोगशाला और वन क्षेत्र में प्रमुख कीट-कंटकों के जीवशास्त्रीय, पारिस्थितिकीय और मौसमी इतिहास पर अध्ययन एवं प्रयोग कार्य।
- प्रयोग की रूढिगत प्रणाली के साथ वन कीट-कंटको पर पर्यावरण के अनुकूल एवं जैव तर्कसंगत संशोधन कार्य।
- पौधशाला (नर्सरी) वृक्षारोपण और प्राकृतिक वनों में प्रमुख वन कीटों के प्रबंधन के लिए समन्वित कीट प्रबंधन आई.पी.एम. कार्यक्रम का विकास
- पौधशाला (नर्सरी) वृक्षारोपण और प्राकृतिक वनों में प्रमुख वन कीटों के प्रबंधन के लिए समन्वित कीट प्रबंधन (आई.पी.एम.) कार्यक्रम का विकास।
- अपरिचित आक्रमित वन कीट प्रजातियों (एएफआईआईएस) की पहचान, उनके नुकसान के आकलन और प्रबंधन पर अनुसन्धान कार्य ।
- माईकोर्रीजा (Mycorrhiza) पर अनुसन्धान कार्य सागौन:, नीम, सिस्सू और कई अन्य वन वृक्ष प्रजातियों के राईजोफेरिक का मूल्यांकन।
प्रशिक्षण
- मध्य प्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड, भोपाल के फ्रंट लाइन स्टाफ के लिए 13/08/2018 को टी.एफ.आर.आई., जबलपुर में “ट्राइको कार्ड्स टीएफआरआई" को ग्राम रावी)" के माध्यम से सागौन कीटों के जैविक नियंत्रण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- 29/01/2019 से 28/02/2019 तक स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए हरित कौशल विकास कार्यक्रम (GSDP) के तहत (वनकीटशास्त्र Entomology) और कंटको (pest) के नियंत्रण पर 30 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
- 21, 23, 25 नवंबर 2019 को दुर्ग वन वृत्त सर्कल रायपुर वन वृत्त सर्कल और बिलासपुर वन वृत्त सर्कल छत्तीसगढ़ में वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के लिए "सागौन निष्पत्रक एवं सागौन कंकालक कीटो का जैविक नियंत्रण" पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- 21 और 22 दिसंबर 2019 को बट्काखापा और खुटामा, छिंदवाड़ा म.प्र. में राज्य वन विभाग, किसानों और हर्बल चिकित्सकों के लिए "जैवविविधता आदिवासियों की निर्भरता के विशेष संदर्भ में सतपुड़ा पठार की जैवविविधता पर” दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
- जे.एन.के.वी.वी. और परियट नर्सरी, जबलपुर में 04 और 05 मार्च 2020 को किसानो के लिए सिंचित चावल के कीटों के खिलाफ जैव नियंत्रण प्रभावकारिता पर दो दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम" का आयोजन किया गया
परामर्शदात्री सेवाएँ
- डॉ. पवन कुमार वैज्ञानिक-ई एवं श्री रामभजन सिह, टी. ओ. ने उमरिया-हरवाह रेंज प्रोजेक्ट म. प्र. को 12-13 अगस्त, 2019 को सागौन के पौधों की डाइंग की समस्या समाधान हेतु उपाय सुझाए ।
- डॉ. पवन कुमार वैज्ञानिक-ई एक समीक्षक के रूप में उत्तर पश्चीमी हिमालय-भारत से सुपर फमिलीजिलेकॉइडिया पर व्यवस्थित अध्ययन की समीक्षा की । (माइक्रोलपिडोप्टेरा)
- डॉ. पवन कुमार वैज्ञानिक-ई ने ZSI पब्लिकेशनगैलरिया के साथ कुछ अपने नोट्स के साथ शोध लेख की लारवल पहचान में (पायरलिडे: लपिडोप्टेरा) (लिनैयस) मेलोनेला chaetoaxy के महत्व की समीक्षा की ।
- श्री रामभजन सिंह, टी. ओ., श्री आर. के. मालवीय, टी. ओ. ने अक्तुबर, 2017 को सागौन में सागौन निष्पत्रक एवं सागौन कंकालक कीटो के आक्रमण की समस्या की जांच कर परियोजन प्रभाग, मंडला (म. प्र.) को प्रबंधन उपाय सुझाए ।
- श्री नाहर सिंह मावई, एस.टी.ओ., श्री रामभज सिंह टी. ओ. ने 29-31 अक्तूबर, 2018 को सागौन के सागौन निष्पत्रक एवं सागौन कंकालक कीटो के आक्रमण की समस्या की जांच करने के लिए रहटगाँव वन परिक्षेत्र, हरदा वन प्रभाग, म.प्र. को दौरा करके कीट प्रबंधन के उपाय सुझाए ।
- श्री नाहर सिंह मावई, एस.टी.ओ., श्री रामभज सिंह टी. ओ. ने सागौन में कीट के आक्रमण की समस्या की जांच करने के लिए खालवा वन परिक्षेत्र, खंडवा वनमंडल म.प्र. का 16-18 फरवरी, 2019 तक दौरा करके कीट प्रबंधन के उपपाय सुझाए ।
- डॉ.नितिन कुलकर्णी, वैज्ञानिक-जी, डॉ. पी. बी. मेश्राम, वैज्ञानिक-एफ, डॉ. आर. के. वर्मा, वैज्ञानिक-एफ ने साल वृक्षारोपण में कीट समस्या की जांच करने के लिए बंदरचुआ, परिक्षेत्र रतनपुर, वन मंडल बिलासपुर (छत्तीसगढ़) दिनांक 08.11.2016 को दौरा करके कीट प्रबंधन के उपयुक्त उपाय सुझाए ।
- श्री सुभाष चन्द्र, वैज्ञानिक-डी और श्री रामभजनसिंह टी.ओ. ने सिवनी, बरघाट परियोजना प्रभाग, सिवनी, म.प्र. अगस्त, 2017 को सागौन पौधशाला में सागौन निष्पत्रक एवं सागौन कंकालक कीटों के हमले की समस्या की जांच करने के लिए दौरा करके कीट प्रबंधन के उपाय सुझाए ।
अन्य
प्रभाग ने मध्य भारत के पौधशालाओ, वृक्षारोपणो और प्राकृतिक वनो के कीटों, रोगों के पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन के लिए समन्वित कीट कंटक और रोग नियंत्रण मॉडल विकसित किए हैं ।
सागौन नर्सरी में सफेद गिडार (व्हाइट ग्रब) का एकीकृत कीट प्रबंधन
क्षेत्र की जांच के दौरान मध्य भारत में सागौन के पौधों की हानिकारक तीन नई सफेद गिडार (व्हाइट ग्रब) प्रजातियाँ- होलोट्रीकिया रस्टिका, होलोट्रीकिया म्यूसिडा और शिज़ोनिचा रुफ़िकोलिस पहली बार रिपोर्ट हुई। समन्वित कीट प्रबंधन के तहत प्रभावी प्रबंधन अभ्यास की जांच के लिए इन नई सफेद गिडार (व्हाइट ग्रब) प्रजातियों की विस्तृत जैव-विज्ञान की जांच नागपुर के रामडोगरी, वन विकास निगम (एफडीसीएम), नागपुर में प्रभावित सागौन नर्सरी में की गई। घटना पर उपलब्ध डेटा, गतिविधि की अवधि, वयस्कों और गिडार (ग्रब्स) की उपलब्धता की अवधि का उपयोग करते हुए, परियोजना के तहत समन्वित कीट प्रबंधन मॉडल प्रस्तावित किया गया। इस मॉडल में वन नर्सरी में सागौन के इन खतरनाक कीटों के प्रभावी प्रबंधन के लिए यांत्रिक, परम्परागत (सिल्वीकल्चरल), रासायनिक और जैविक नियंत्रण विकल्पों का एकीकरण सम्मिलित रहा । गतिविधियों का प्रदर्शन नर्सरी प्रबंधक और फील्ड स्टाफ को किया गया था और एक विस्तृत रिपोर्ट वन विकास निगम महाराष्ट्र (एफडीसीएम) को सौंपी गई थी, जिसमें सफेद गिडार के प्रबंधन के लिए मॉडल दिशानिर्देश सम्मिलित रहे। विभिन्न रूपों में निगम के उच्च अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट की सराहना की गई। अनुसंधान के परिणाम प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित किए थे।
जैविक नियंत्रण
- प्रयोगशाला में अंडा परजीवी ट्राइकोग्रामा राओई को बड़े पैमाने पर पालन की तकनीक।
- स्वदेशी/स्थानीय अंडा परजीवी, ट्राइकोग्रामा राओई की @ 1.25 लाख / हेक्टेयर छोड़ने से सागौन कीट निष्पत्रक और कंकालक की क्षति प्रभाव को कम से कम 50% कम करने में प्रभावी पाया गया।
साल हार्टवुड बोरर
एक सफेद क्रिस्टलीय यौगिक जिसे साल की छाल के इथेनॉल अर्क से अलग करके बेंजीन में फिर से क्रिस्टलीकृत किया जाता है, जो साल बोरर बीटल के खिलाफ काईरोमोन के रूप में काम करता है । अपनी प्रभावशीलता को खोए बिना भृंगों (बीटल्स) को आकर्षित करने के लिए जाल के रूप में पीटा हुआ साल लॉग पर एंडोसल्फान के 0.05% पानी के पायस के छिड़काव द्वारा साल बोरर्स को सीधे मारने की एक नई प्रणाली विकसित की गई।
वन रोगविज्ञान
- लाभकारी मृदा रोगाणुओं और जैविक संशोधन के अनुप्रयोग से चन्दन के अंकुरों (छोटा कोमल पौधा) के अस्तित्व और विकास में वृद्धि होती है।
- विभिन्न जैव-उर्वरक (एएम कवक, राइज़ोबिया, एज़ोटोबैक्टर, पीएसबी) के उपभेदों को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से एकत्र किया गया तथा प्रभावी उपभेदों को क्षेत्र और प्रयोगशाला प्रयोगों द्वारा पृथक किया गया ।
- एएम कवक के एज़ोटोबैक्टर और एज़ोस्पिरिलम के साथ मिश्रण के प्रयोग से सागौन और बांस की वृद्धि को काफी सुविधाजनक बनाया।
- एमपीएसएफडी आर एंड ई के वन पौधशालाओ में जैविक उर्वरकों और जैविक कीटनाशकों के प्रयोग से पौधों (सीडलिंगस) के विकास में काफी मदद मिली।
जारी परियोजनाये (आई.सी.एफ.आर.ई वित्त पोषित)
क्रमाक
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परियोजना का नाम
|
मुख्य अन्वेषक
|
पद
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परियोजना अवधि
|
परियोजना सदस्य
|
निधिदाता
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1.
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डेवलपमेंट ऑफ़ डिलीवरी सिस्टम फॉर फील्ड एप्लीकेशन ऑफ़ कान्थिकोना फर्सेल्लाटा ऐज बायोलॉजिकल कण्ट्रोल एजेंट अगेंस्ट मेजर इन्सेक्ट पेस्ट। |
डॉ. पवन कुमार
|
वैज्ञानिक-ई
|
03 साल |
एसोसिएट्स:
शशि किरण बर्वे, आर.के. मिश्रा
|
आई.सी.एफ.आर.ई. देहरादून
|
2.
|
डेवलपमेंट ऑफ़ बायो पेस्टीसाइड प्रोडक्ट्स / फार्मूलेशनस फ्रॉम एक्सट्रेक्टस ऑफ़ ट्री बोर्न आयल सीड्स एंड डिफरेंट टीस्सुस ऑफ़ वाइल्ड प्लांट फॉर मैनेजमेंट ऑफ़ इन्सेक्ट पेस्ट्स (एआईसीआरपी)
|
डॉ. पवन कुमार |
वैज्ञानिक-ई
|
05 साल
|
एसोसिएट्स:
नाहर सिंह मावई, एच. डी. बी. एंथोनी, राम भजन सिंह
|
आई.सी.एफ.आर.ई. देहरादून
|
3.
|
डेवलपमेंट ऑफ़ पैकेज ऑफ़ प्रैक्टिसेज ऑन ग्मेलिना अर्बोरेया Roxb.(खमेर ऑर गमार) इन सिलेक्टेड रीजियंस ऑफ़ इंडिया।
|
डॉ. पवन कुमार
|
वैज्ञानिक-ई
|
05 साल
|
एसोसिएट्स:
नाहर सिंह मावई, आर.के. मालवीय, आर.के. मिश्रा
|
आई.सी.एफ.आर.ई. देहरादून
|
4.
|
आल इंडिया को-ओरडीनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट् ऑन डल्बर्गिया सिस्सू।
|
श्री ए.जे.के. असैया
|
वैज्ञानिक-सी
|
05 साल |
सहा. अन्वेषक: डॉ. फातिमा शिरीन, डॉ. प्रमोद तिवारी एसोसिएट्स: अशोक ठाकुर, गौतम नारनवेयर |
आई.सी.एफ.आर.ई. देहरादून
|
5.
|
डेव्लोपमेंट ऑफ़ सुपीरियर बायो फ़र्टिलाइज़र प्रोडक्ट्स फॉर एनहांस्ड प्लांट प्रोडक्टिविटी।
|
श्री ए.जे.के. असैया
|
वैज्ञानिक-सी
|
05 साल
|
सहा. अन्वेषक: डॉ. पवन कुमार, एसोसिएट्स: अशोक ठाकुर
|
आई.सी.एफ.आर.ई. देहरादून
|
6.
|
आल इंडिया को-ओरडीनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट् ऑन बाम्बू।
|
डॉ. एस.एन. मिश्रा
|
वैज्ञानिक-सी
|
05 साल
|
सहा. अन्वेषक: शालिनी भौवते
एसोसिएट्स: राम भजन सिंह, अशोक ठाकुर
|
आई.सी.एफ.आर.ई. देहरादून
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जारी परियोजनाये (बाह्य वित्त पोषित)
क्रमाक
|
परियोजना का नाम
|
मुख्य अन्वेषक
|
पद
|
परियोजना अवधि
|
परियोजना सदस्य
|
निधिदाता
|
1.
|
स्टडीज ऑन थे डायवर्सिटी ऑफ़ सम बेनेफ़िसिअल इंसेक्ट्स इन फारेस्ट ईकोसिस्टम इन मध्य प्रदेश।
|
डॉ. पवन कुमार
|
वैज्ञानिक-ई
|
03 yrs. (Aug. 2017 to July 2020)
|
एसोसिएट्स:
आर.के. मालवीय (S.T.O)
|
एम.पी.एस.बी.बी
भोपाल
|
2.
|
टेक्सोनोमिक स्टडी ऑफ़ टेट्टीगोनिडी (ओर्थोपोड़ा) ऑफ़ इंडिया (अंडर आल इंडिया को-ओरडीनेटेड प्रोजेक्ट ऑन टेक्सोनोमी) (एआईसीओपीटीए एक्स)
|
डॉ. पवन कुमार
|
वैज्ञानिक-ई
|
03 yrs. (Dec. 2016 to Nov. 2019)
[Extended]
|
एसोसिएट्स:
एच. डी. बी. एंथोनी (S.T.O.)
|
एम.ओ.ई.एफ एवं सी.सी
|
3.
|
एक्सटेंशन ऑफ़ बायोलॉजिकल कन्ट्रोल ऑफ़ टीक डेफोलियेटर एंड स्केलेटोनाइजर थ्रू एग्ग पैरासीटोइड, ट्राईकोग्रामा राई (टीएफआरआई- ट्राईकोकार्डस) इन प्लान्टेशंस।
|
डॉ. पवन कुमार
|
वैज्ञानिक-ई
|
03 yrs (Feb. 2019 to Jan. 2022)
|
सहा. अन्वेषक:
डॉ. एस.एन. मिश्रा
एसोसिएट्स:
राम भजन सिंह (T.O.)
|
छत्तीसगढ़ राज्य वन विभाग, रायपुर कैम्पा
|
4.
|
मोनिटरिंग एंड डीस्सेमिनेसन ऑफ़ नॉलेज टू मैनेज साल हर्टवुड बोरर, होप्लोसिरेम्बिक्स स्पिनिकोर्निस इन छत्तीसगढ़।
|
डॉ. पवन कुमार
|
वैज्ञानिक-ई
|
03 yrs (Feb. 2019 to Jan. 2022)
|
सहा. अन्वेषक: डॉ. एस.एन. मिश्रा
एसोसिएट्स:
राम भजन सिंह (T.O.)
|
छत्तीसगढ़ राज्य वन विभाग, रायपुर कैम्पा
|
5.
|
इकोलॉजिकल मोनीटोरिंग एंड जीआईएस मैपिंग ऑफ़ माइक्रोलेपिडोपटेरा डाइवर्सिटी ऑफ़ देवदार (सीड्रस देवदार) फारेस्ट ऑफ़ हिमाचल प्रदेश।
|
डॉ. पवन कुमार
|
वैज्ञानिक-ई
|
03 yrs. (August, 2019 to July, 2022)
|
एसोसिएट्स:
आर.के. मालवीय (S.T.O), शशि किरण बर्वे (T.O.)
|
SERB, DST, Gol
|
6.
|
कैपेसिटी बिल्डिंग ऑफ़ नर्सरी स्टाफ ऑन प्रिपरेशन ऑफ़ आर्गेनिक फर्टीलाइज़र एंड इट्स एप्लीकेशन।
|
श्री ए.जे.के.
असैया
|
वैज्ञानिक-सी
|
02 yrs. (Feb. 2019 to Jan. 2021)
|
एसोसिएट्स:
राम भजन सिंह (T.O.), गौतम नारनवरे (T.O.)
|
छत्तीसगढ़ राज्य वन विभाग, रायपुर कैम्पा
|
संपर्क
श्रीमति अनिता, भा.व.से.
प्रभागाध्यक्ष
वन सुरक्षा प्रभाग
उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर, (म. प्र.)
482021
दूरभाष: 0761-2840634, 0761-2997396
ई-मेल: hod_fp_tfri@icfre.org, rj165@ifs.nic.in